Sunday, 23 July 2017

" ईट का जवाब पत्थर से ":- चीन के 30 हजार सैनिको के बदले भारत ने तैनात की परमाणु युक्त ब्रह्मोस..

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INDIA ने CHINA की हेकड़ी निकालने के लिए BORDER पर BRAHMOS मिसाइल तैनात कर दी है।
इस मिसाइल की तैनाती से चीन बिफर गया है। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से डोकलाम विवाद में सहायता की अपील की है। वहीं ट्रंप पहले ही कह चुके हैं कि चीन भारत से माफी मांगे और डोकलाम से अपने सैनिक हटा ले।

वहीं, डोककलाम का तनाव भारत-चीन सीमा पर हर जगह दिख रहा है, इसीलिए सेना की तैयारी सिर्फ सिक्किम में ही नहीं बल्कि लद्धाख के बर्फीले इलाकों में भी है।

1962 में जब भारत पर चीन ने हमला बोला था, तब इसी लद्दाख को भी अपना क्षेत्र बताना शुरू किया। तब भारत के पास इस इलाके में कुछ भी नहीं था। लेकिन आज भारत इतना सतर्क हो गया है कि उसने लद्दाख में सारी तैयारियां कर ली है।

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चीन हमेशा अपने इलाके में कंस्ट्रक्शन करता रहा है, भारत करता है तो वो रोकता है, लेकिन अब भारत इन सड़कों पर काम कर रहा है, अपने इलाके में बना रहा है। 1962 के युद्ध में चीन ने अक्साइ चीन का एक बड़ा हिस्सा कब्जा कर लिया था। आज भी चीनी सैनिकों पर से 1962 के युद्ध का हैंगओवर उतरा नहीं है। लेकिन हमारी सेना की तैयारी बताती है कि अब अगर चीन ने आंखें तरेरी तो उसके लिए बुरे दिन शुरू हो जाएंगे।

यहां रहने वाले लोगों को आज चीन से डर नहीं लगता क्योंकि इन्हें अपने जवानों पर पक्का यकीन है। लद्दाख भारत के लिए निर्णायक है। लेकिन वहां सीमा पर आखिरी गांव तक बिजली नहीं पहुंच पाई है, उन बुनियादी जरूरतों के लिए काम करने की जरूरत है। चीन एक तरफ सिक्किम के पास डोकलाम में अपनी दादागीरी दिखा रहा है तो लद्धाख पर उसकी लालची नजर से भारत वाकिफ है।

भारत के लिए लद्दाख की अहमियत इस बात से भी बढ़ जाती है कि चीन बगल में पाकिस्तानी कब्जे वाले कश्मीर में स्पेशल इकोनॉमी जोन बना रहा है, यानी लद्दाख तो तीन तरफ से चीन घेर सकता है। पाकिस्तान में चीन का बढ़ता दखल पा
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