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भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर गतिरोध बना हुआ है |दोनों देशों के बीच जुबानी जंग भी लगातार जारी है |सीमा विवाद को लेकर दोनों देशों की सेनाएं भी अलर्ट है |यूरोपीय संसद के उपाध्यक्ष रिसार्त जारनेतस्की ने ‘ईपी टुडे’ पत्रिका में प्रकाशित लेख में यह बात कही है कि इस विवाद को लेकर चीन को भी इस बात का अंदाजा नहीं रहा होगा कि भूटान की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए भारत इतनी कड़ी प्रतिक्रिया देगा |रिसार्त जारनेतस्की ने अपने लेख में चीन के उस झूठ से भी पर्दा उठाया है, जिसमें चीन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को विशवास दिलाते हुए कहा था कि ‘शांतिपूर्ण उदय’ किसी भी देश की स्थापित व्यवस्था के लिए खतरा नहीं बनेगा और वह शांतिपूर्ण वैश्विक माहौल को बढ़ावा देगा |
भारत की ऐसी प्रतिक्रिया देखकर चीन के उड़े होश
चीन सोचने पर मजबूर सड़क बनाने का फैसला कहीं गलत तो नहीं !
इसी के साथ रिसार्त जारनेतस्की ने अपने लेख में लिखा है कि चीन उस विदेश नीति को चल रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत मान्य नहीं है |जारनेतस्की ने डोकलाम को लेकर भारत और भूटान के साथ चीन के विवाद को लेकर लिखा है कि ‘डोकलाम के डोकला से जोम्पेलरी के पास भूटान आर्मी कैम्प की तरफ सड़क बनाने का एकतरफा फैसला उसकी गलत विदेश नीति का दिखावा है |’
भारत ने भूटान को दिया अपनी दोस्ती का प्रमाण
जारनेतस्की ने अपने लेख में लिखा है कि चीन के द्वारा विवादित क्षेत्र डोकलाम में निर्माण करने की गतिविधियों का भूटान ने कूटनीतिक चैनलों के माध्यम से विरोध दर्ज कराया, संभवतः जिसका अंदाजा चीन को रहा होगा लेकिन चीन इस बात को नहीं समझ सका कि भारत भूटान की क्षेत्रीय संप्रभुता की रक्षा के लिए इतनी मजबूती के साथ खड़ा हो जाएगा |
क्या अरुण जेटली के बयान से डर गया है चीन ?
पिछले कुछ दिनों से सिक्किम की सीमा के पास स्थित डोकलाम को लेकर भारत और चीन के बीच तनातनी बनी हुई है |इस सीमा विवाद का अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है |इस सीमा विवाद को लेकर चीन और भारत के बीच जुवानी जंग भी लगातार जारी है |चीन ने भारत को धमकी देते हुए कहा था कि भारत 1962 के युद्ध को याद रखे इस बार उसको इससे भी बुरा अंजाम भुगतना पड़ेगा | इस बयान के जवाब भारत के कार्यवाहक रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने भी चीन को करारा जवाब देते हुए कह दिया कि यह भारत 1962 वाला भारत नहीं है |
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चीन ने भारत को भूटान का साथ देने पर कश्मीर का मुद्दा उठाते हुए बयान दिया था कि अगर भारत, भूटान और चीन के बीच बोलेगा तो पाकिस्तान के कहने पर कश्मीर में भी तीसरे देश की सेना घुस सकती है |इस बयान के बाद चीन ने कश्मीर में सकारात्मक भूमिका निभाने सम्बंधित बयान भी दिया था लेकिन भारत ने इस बयान को कोई तवज्जो नहीं दी | इसके जवाब में भारत ने कहा कि मामले के मूल रूप में सीमापार से फैलाया जा रहा आतंकवाद है |चीन ने अभी कुछ दिनों पहले ही एक बार फिर भारत से कहा कि डोकलाम से भारत अपनी सेना को पीछे हटा ले इसी के साथ सिक्किम क्षेत्र में सीमा विवाद के समाधान के लिए यह अब भी पूर्व शर्त है |
चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि भारतीय सेना का डोकलाम में दाखिल होना भारत व चीन के बीच अपरिभाषित सीमा क्षेत्रों में टकराव से अलग है लेकिन डोकलाम में जो हुआ वह एक विवाद है | इसके जवाब में भारत के विदेश सचिव एस. जयशंकर ने सिंगापुर में ली कुआन यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी में अपने एक व्याख्यान में कहा कि मतभेद विवाद नहीं बनना चाहिए |भारत ने विपक्षी दलों के साथ भी इस मुद्दे को लेकर बात की | सरकार की ओर से आयोजित बैठक में विपक्षी दलों ने भी भारत सरकार के द्वारा उठाए कदम को सही बताया है |भारत चीन के साथ कूटनीतिक रास्तों के जरिये इस मामले के शांतिपूर्ण समाधान की बात कर रहा है |
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