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देश में चल रही तीन तलाक की बहस और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बीच अब मुस्लिम महिलाएं खतने को लेकर भी आवाज उठा रही हैं. इसी कड़ी में मासूमा रानाल्वी ने पीएम के नाम एक खुला ख़त लिखकर इस कुप्रथा को रोकने की मांग की है.
मासूमा बोहरा समुदाय से है. अपने खत में वह लिखती हैं- स्वतंत्रता दिवस पर आपने मुस्लिम महिलाओं के दुखों और कष्टों पर बात की थी. ट्रिपल तलाक को आपने महिला विरोधी कहा था, सुनकर बहुत अच्छा लगा था. हम औरतों को तब तक पूरी आज़ादी नहीं मिल सकती जब तक हमारा बलात्कार होता रहेगा, हमें संस्कृति, परंपरा और धर्म के नाम पर प्रताड़ित किया जाता रहेगा.
ट्रिपलतलाक अन्याय है, पर इस देश की औरतों की सिर्फ़ यही एक समस्या नहीं है. मैं आपको औरतों के साथ होने वाले खतने के बारे में बताना चाहती हूं, जो छोटी बच्चियों के साथ किया जाता है.
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मासूमा लिखती हैं- ख़त के द्वारा आपका ध्यान इस भयानक प्रथा की तरफ़ खींचना चाहती हूं. बोहरा समुदाय में सालों से 'ख़तना' या 'ख़फ्ज़' प्रथा का पालन किया जा रहा है. बोहरा, शिया मुस्लिम हैं, जिनकी संख्या लगभग 2 मिलियन है और ये महाराष्ट्र, गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान में बसे हैं.मैं बताती हूं कि मेरे समुदाय में आज भी छोटी बच्चियों के साथ क्या होता है. जैसे ही कोई बच्ची 7 साल की हो जाती है, उसकी मां या दादीमां उसे एक दाई या लोकल डॉक्टर के पास ले जाती हैं. बच्ची को ये नहीं बताया जाता कि उसे कहां ले जाया जा रहा है या उसके साथ क्या होने वाला है. दाई या आया या वो डॉक्टर उसके प्राइवेट अंग को काट देते हैं. इस प्रथा का दर्द ताउम्र के लिए उस बच्ची के साथ रह जाता है. इस प्रथा का एकमात्र उद्देश्य है, बच्ची या महिला के यौन इच्छाओं को दबाना.
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