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आपने टीवी से लेकर सोशल मीडिया तक बुद्धिजीवियों को होली दीपावली पर सलाह देते हुए तो देखा ही होगा, होली पर पानी की बर्बादी ना करने के फतवे दिए ही जाते है.।
दीपावली पर पठाखा न फोड़ने के फतवे भी दिए जाते है, गणेश विसर्जन से लेकर शिवरात्रि पर दूध की बर्बादी और न जाने किन किन चीजों पर भी बुद्धिजीवी तत्व फतवे देते है।
आइये अब जरा बकरीद पर मोटा मोटा हिसाब लगाया जाये
* बकरीद के दिन कम से कम 10 करोड़ जानवरों को काटा जाता है, जिनमे बकरे, गाय, बैल, भैंस, ऊंट और हर तरह के जानवर शामिल होते है
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* अब 10 करोड़ जानवरों को काटा जाता है, बकरे में से ही 3-4 लीटर खून निकलता है, वहीँ बड़े जानवरों में से 30 लीटर तक खून निकलता है, चलिए कम से कम भी 5 लीटर खून औसत लगाए, तो 10 करोड़ जानवरों में से 50 करोड़ लीटर खून बहाया जाएगा।* अब 1 लीटर खून को साफ़ करने में, कम से कम 10 लीटर पानी तो लगेगा ही 3-4 बार में खून साफ़ होता है, तो अंदाजन 50 करोड़ लीटर खून को साफ़ करने में 500 करोड़ लीटर पानी लगेगा
* 10 करोड़ जानवर काटने के बाद, प्रदुषण भी फैलेगा, खून पर बैक्टीरिया आता है
गन्दगी और बीमारियां 100% फैलेगी
अब देखिये होली पर पानी की बर्बादी वाली गैंग बकरीद पर चुप, दीपावली पर प्रदुषण से होने वाली बिमारियों वाली गैंग बकरीद के बाद की बिमारियों पर चुप होली दीपावली पर तो तरह तरह के फतवे पर बकरीद के लिए किसी तरह की कोई सलाह नहीं, बकरीद को सब माफ़ है, और यही तो सेकुलरिज्म है
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