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कुछ रोज पहले की यी घटना आपको याद होगी जब मेजोर नितिन लितुल गोगोई ने डार को जीप के बोनट से बाधा था..
इसके पीछे का कारन ये बताया गया था की कोई पत्थरबाज जवानों को निशाना न बना सके| जो की काफी हद तक सफल भी रहा!!
इस बात से आहत होकर पहले तो उस शख्स ने डर के कारण कहीं इसकी शिकायत नहीं की थी। लेकिन, कुछ समय बाद उसने राज्य के मानव अधिकार आयोग में मेजर लितुल गोगोई के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। जिसके परिणाम स्वरुप मानवाधिकार ने बड़े फैसले लेते हुए राज्य के मानवाधिकार के तहत सख्स को 10 लाख रूपए देने का ऐलान किया है!!
राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस बिलाल नाजकी का कहना है की फारुख अहमद ने अपनी गरिमा और जीवन को खतरे में डाला। जिसके फलस्वरूप हमने ये निर्णय लिया की पीड़ित को 10 लाख रूपए दिया जाये!!
अब ऐसे में देखने वाली बात ये है की क्या इस तरीके से जम्मू - कश्मीर में पत्थर बजो के हौसलों को को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है :
मेजोर गोगोई के द्वारा इस सख्स को जीप पे बढे जाने पर कई राजनीतिक पार्टियों ने बहुत सवाल उठाये लेकिन विवादों के बीच सेना प्रमुख बिपिन रावत ने मेजर गोगोई का खुलकर समर्थन किया था और कहा था कि जवानों को पत्थरबाजों के बीच मरने के लिए नहीं छोड़ सकते*
ये सारी घटना उस समय की है जब श्रीनगर में 9 अप्रैल को उपचुनाव के दौरान बीड़वाह समेत कई इलाकों में वोटिंग बूथ पर हिंसा हुई थी। इसी दौरान पत्थरबजो से निपटने के लिए मेजोर गोगोई को ऐसा फैसला लेना पड़ा # जिसे आगे चलकर बिपिन रावत ने मेजोर गोगोई को सम्मानित भी किया...
ऐसे में हम आपसे एक सवाल करते है क्या ये मानवाधिकार का फैसला उचित और देशहित में है या नहीं ?? कमेंट बॉक्स में अपना जवाब जरुर दे!!ये के सर्वे के तौर पर फ़रमाया जा रहा है🤔🤔
इसके पीछे का कारन ये बताया गया था की कोई पत्थरबाज जवानों को निशाना न बना सके| जो की काफी हद तक सफल भी रहा!!
इस बात से आहत होकर पहले तो उस शख्स ने डर के कारण कहीं इसकी शिकायत नहीं की थी। लेकिन, कुछ समय बाद उसने राज्य के मानव अधिकार आयोग में मेजर लितुल गोगोई के खिलाफ शिकायत दर्ज की थी। जिसके परिणाम स्वरुप मानवाधिकार ने बड़े फैसले लेते हुए राज्य के मानवाधिकार के तहत सख्स को 10 लाख रूपए देने का ऐलान किया है!!
राज्य मानवाधिकार आयोग के चेयरमैन जस्टिस बिलाल नाजकी का कहना है की फारुख अहमद ने अपनी गरिमा और जीवन को खतरे में डाला। जिसके फलस्वरूप हमने ये निर्णय लिया की पीड़ित को 10 लाख रूपए दिया जाये!!
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मेजोर गोगोई के द्वारा इस सख्स को जीप पे बढे जाने पर कई राजनीतिक पार्टियों ने बहुत सवाल उठाये लेकिन विवादों के बीच सेना प्रमुख बिपिन रावत ने मेजर गोगोई का खुलकर समर्थन किया था और कहा था कि जवानों को पत्थरबाजों के बीच मरने के लिए नहीं छोड़ सकते*
ये सारी घटना उस समय की है जब श्रीनगर में 9 अप्रैल को उपचुनाव के दौरान बीड़वाह समेत कई इलाकों में वोटिंग बूथ पर हिंसा हुई थी। इसी दौरान पत्थरबजो से निपटने के लिए मेजोर गोगोई को ऐसा फैसला लेना पड़ा # जिसे आगे चलकर बिपिन रावत ने मेजोर गोगोई को सम्मानित भी किया...
ऐसे में हम आपसे एक सवाल करते है क्या ये मानवाधिकार का फैसला उचित और देशहित में है या नहीं ?? कमेंट बॉक्स में अपना जवाब जरुर दे!!ये के सर्वे के तौर पर फ़रमाया जा रहा है🤔🤔
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