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यहाँ चीन की दादागिरी चल रही थी सालों से, भारत चीन के ही जानी दुश्मन के साथ मिलकर अब करने वाला है...
भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर चल रहे टकराव बीच चीन को करारा कूटनीतिक झटका लगा है। खबर है कि उसके जानी दुश्मन वियतनाम ने भारत के साथ किए गए समझौते को दो साल के लिए बढ़ा दिया है। वियतनाम के साथ संभावित तेल-गैस के इन समझौतों को ख़ासी अहमियत दी जाती हैl ऊर्जा मामलों के जानकार नरेंद्र तनेजा का मानना है कि भारत ही नहीं समूचे एशिया में ऊर्जा की भारी कमी हैl उनका ये भी मानना है कि वियतनाम के साथ संभावित समझौतों की अहमियत इसलिए भी है कि भारत अस्सी फ़ीसदी तेल आयात करता है और दिन पर दिन बढ़ रही मांग को देखते हुए आयातित तेल की हिस्सेदारी नब्बे फ़ीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान हैl
तनेजा के मुताबिक, “ऐसे में विदेशों में तेल के जितने अधिक भंडार भारत को मिलेंगे, देश की अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही बेहतर होगा. यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत अपने विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 60 प्रतिशत इस्तेमाल ऊर्जा ज़रूरतों को आयात करने पर करता है.”
भारत और वियतनाम ने साउथ चाइना सी में तेल की खोज के लिए करार किया था। साउथ चाइना सी को लेकर वियतनाम ही नहीं बल्कि कई और देशों का भी चीन से विवाद चल रहा है। चीन कई बार भारत को इस विवादित क्षेत्र से दूर रहने की धमकी दे चुका है। पर इस बार भारत का इरादा पीछे हटने का नहींl भारत और वियतनाम साउथ चाइना सी के ब्लॉक नंबर 128 में तेल की खोज कर रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, समझौते को विस्तार देने के संबंध में वियतनाम ने ओएनजीसी विदेश के मैनेजिंग डायरेक्टर नरेंद्र वर्मा को पत्र भेज दिया गया है। भारत और वियतनाम जिस क्षेत्र में तेल की खोज कर रहे हैं वह काफी बड़ा है, इसमें समंदर का वो हिस्सा भी शामिल है, जिस पर चीन अपना दावा ठोकता है।
भारत के साथ सीमा विवाद को लेकर चल रहे टकराव बीच चीन को करारा कूटनीतिक झटका लगा है। खबर है कि उसके जानी दुश्मन वियतनाम ने भारत के साथ किए गए समझौते को दो साल के लिए बढ़ा दिया है। वियतनाम के साथ संभावित तेल-गैस के इन समझौतों को ख़ासी अहमियत दी जाती हैl ऊर्जा मामलों के जानकार नरेंद्र तनेजा का मानना है कि भारत ही नहीं समूचे एशिया में ऊर्जा की भारी कमी हैl उनका ये भी मानना है कि वियतनाम के साथ संभावित समझौतों की अहमियत इसलिए भी है कि भारत अस्सी फ़ीसदी तेल आयात करता है और दिन पर दिन बढ़ रही मांग को देखते हुए आयातित तेल की हिस्सेदारी नब्बे फ़ीसदी तक पहुंच जाने का अनुमान हैl
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तनेजा के मुताबिक, “ऐसे में विदेशों में तेल के जितने अधिक भंडार भारत को मिलेंगे, देश की अर्थव्यवस्था के लिए उतना ही बेहतर होगा. यह नहीं भूलना चाहिए कि भारत अपने विदेशी मुद्रा भंडार का लगभग 60 प्रतिशत इस्तेमाल ऊर्जा ज़रूरतों को आयात करने पर करता है.”
भारत और वियतनाम ने साउथ चाइना सी में तेल की खोज के लिए करार किया था। साउथ चाइना सी को लेकर वियतनाम ही नहीं बल्कि कई और देशों का भी चीन से विवाद चल रहा है। चीन कई बार भारत को इस विवादित क्षेत्र से दूर रहने की धमकी दे चुका है। पर इस बार भारत का इरादा पीछे हटने का नहींl भारत और वियतनाम साउथ चाइना सी के ब्लॉक नंबर 128 में तेल की खोज कर रहे हैं।
रिपोर्ट्स के अनुसार, समझौते को विस्तार देने के संबंध में वियतनाम ने ओएनजीसी विदेश के मैनेजिंग डायरेक्टर नरेंद्र वर्मा को पत्र भेज दिया गया है। भारत और वियतनाम जिस क्षेत्र में तेल की खोज कर रहे हैं वह काफी बड़ा है, इसमें समंदर का वो हिस्सा भी शामिल है, जिस पर चीन अपना दावा ठोकता है।
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