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हुकुमदेव नारायण यादव बीजेपी सांसद ने लोकसभा में कांग्रेस की बैंड बजा दी..
ये वही हुकुमदेव नारायण (Hukumdev Narayan) है जिनका लोकसभा (Lok Sabha) का एक वायरल वीडियो लगभग हर व्यक्ति तक पहुंचा जिसमे उन्होंने कायदे से विरोधियों की धज्जियाँ उड़ाई थी. आज फिर हुक्म देव नारायण यादव ने दिल खुश कर दिया. राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) के महंगाई के भाषण (speech) के जवाब में बीजेपी के हुकम देव नारायण ने कांग्रेसियों के गाल पर ऐसा तमाचा मारा है कि सबकी बोलती बंद कर दी.
दरअसल हुकुमदेव ने कहा कि तुम्हे सिर्फ आलू, प्याज, टमाटर, दाल, चीनी में महंगाई नजर आती है. पिछले 60 साल तुमने राज किया, 1967 में सीमेंट की बोरी 11 रूपये की थी आज 2016 में 370 रूपये की हो गई. 1967 में लोहा 100 रूपये (कुंटल) था आज 3500 रूपये (कुंटल) हो गया, पहनने का कपडा तक महंगा हो गया. सब चीज महँगी हो गई पर तुम दाल पर ही अटके हुए हो.
उन्होंने आगे कहा कि अगर महंगाई कम करनी है तो हर चीज में महंगाई कम करो, एक किसान जो कई महीनो की मेहनत से फसल उगाता है और बाजार में उसका उचित दाम तक उसको नहीं मिलता, जिससे किसान आत्महत्या कर लेता है. वो चीज तुम्हे सस्ती चाहिए, बाकि के बारे में बात नहीं करते. तुम गरीब, किसान, मजदूरों की बात करते हो पर न ही तुम उनकी तरह भाषा बोलते हो, न ही उनके जैसे कपडे (वेशभूषा) पहनते हो.
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ये वही हुकुमदेव नारायण (Hukumdev Narayan) है जिनका लोकसभा (Lok Sabha) का एक वायरल वीडियो लगभग हर व्यक्ति तक पहुंचा जिसमे उन्होंने कायदे से विरोधियों की धज्जियाँ उड़ाई थी. आज फिर हुक्म देव नारायण यादव ने दिल खुश कर दिया. राहुल गाँधी (Rahul Gandhi) के महंगाई के भाषण (speech) के जवाब में बीजेपी के हुकम देव नारायण ने कांग्रेसियों के गाल पर ऐसा तमाचा मारा है कि सबकी बोलती बंद कर दी.
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दरअसल हुकुमदेव ने कहा कि तुम्हे सिर्फ आलू, प्याज, टमाटर, दाल, चीनी में महंगाई नजर आती है. पिछले 60 साल तुमने राज किया, 1967 में सीमेंट की बोरी 11 रूपये की थी आज 2016 में 370 रूपये की हो गई. 1967 में लोहा 100 रूपये (कुंटल) था आज 3500 रूपये (कुंटल) हो गया, पहनने का कपडा तक महंगा हो गया. सब चीज महँगी हो गई पर तुम दाल पर ही अटके हुए हो.
उन्होंने आगे कहा कि अगर महंगाई कम करनी है तो हर चीज में महंगाई कम करो, एक किसान जो कई महीनो की मेहनत से फसल उगाता है और बाजार में उसका उचित दाम तक उसको नहीं मिलता, जिससे किसान आत्महत्या कर लेता है. वो चीज तुम्हे सस्ती चाहिए, बाकि के बारे में बात नहीं करते. तुम गरीब, किसान, मजदूरों की बात करते हो पर न ही तुम उनकी तरह भाषा बोलते हो, न ही उनके जैसे कपडे (वेशभूषा) पहनते हो.
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